अनुकूले विधौ देयं एतः पूरयिता हरिः ।
प्रतिकूले विधौ देयं यतः सर्वं हरिष्यति ॥
भावार्थ:- तकदीर अनुकुल हो तब दान देना चाहिए क्यों कि सब देनेवाला भगवान है । तकदीर प्रतिकुल हो तब भी देना चाहिए क्यों कि सब हरण करनेवाला भी भगवान ही है !
बुधवार, 1 जुलाई 2015
।। शुभाषितम् ।।
आहर निद्रा भय मैथुनं च सामान्यमेतत पशुभिर्नराणाम्
धर्मो हि तेषाम् अधिको विशेषो धर्मेण हीना पशुभिः समाना ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें