संस्कृत और संस्कृती

अनुकूले विधौ देयं एतः पूरयिता हरिः । प्रतिकूले विधौ देयं यतः सर्वं हरिष्यति ॥ भावार्थ:- तकदीर अनुकुल हो तब दान देना चाहिए क्यों कि सब देनेवाला भगवान है । तकदीर प्रतिकुल हो तब भी देना चाहिए क्यों कि सब हरण करनेवाला भी भगवान ही है !

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

"न चौर हार्यम न च राज हार्यम |
न भ्रात्रभाज्यम न च भारकारी ||
व्यये कृते वर्धते नित्यं |
विद्या धनं सर्वे धनं प्रधानम् ||"

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