।।रामायण।।
ध्रुवं ह्यकाले मरणं न विद्यते।।20.51।।Certainly death does not happen unseasonably .
मृत्यु असमय में नहीं होती ।
पितुर्हि वचनं कुर्वन् न कश्चिन्नाम हीयते ।।21.31।।
One obeying his father is never a loser .
पिता की बात मानने वाला घाटे में नहीं रहता है ।
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