।। शिव पूजा में न करें ये गलतियां ।।
भगवान भोलेनाथ सहज ही प्रसन्न होने वाले देव हैं। केवल मात्र जल का लोटा अर्पण करने से ही महादेव प्रसन्न होकर भक्त को मनचाहा वरदान दे देते हैं। फिर भी भगवान नीलकंठ की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए और उन्हें यथासंभव नहीं करना चाहिए अन्यथा साधक का भाग्य रूठ जाता है।
भगवान शिव को तुलसी कभी नहीं चढ़ाए। शास्त्रों में तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी माना गया है। अत: यह विष्णुजी तथा उनके अवतारों के अलावा अन्य किसी देवता को अर्पित नहीं की जाती।
घर में एक साथ दो शिवलिंग की स्थापना न करें। इसी तरह दो गणेश प्रतिमा और तीन दुर्गाओं की प्रतिष्ठा न कराएं। इससे दुर्भाग्य सदा के लिए घर में बसेरा कर लेता है।
शिव की पूजा में बिल्वपत्र का विशेष महत्व है। पूजा करते समय जो भी बिल्वपत्र काम में लिए जाएं वे कटे-फटे नहीं होने चाहिए और कीड़ों के खाए हुए होने चाहिए। इसके बजाय यदि पहले से भगवान शिव पर बिल्वपत्र चढ़ाए हुए हो तो उन्हीं को फिर से जल से धोकर अर्पण करना चाहिए।
पूजा के समय दूध, दही तथा पंचामृत को कभी भी कांसे के बर्तन में नहीं रखना चाहिए। ऎसा करने से पूजा में भारी दोष लगता है।
भगवान शिव को धतूरा तथा विजया (भांग) बहुत पसंद है। पूजा करते समय भगवान को यथासंभव दोनों ही अर्पण करना चाहिए।
भगवान शिव की पूजा घर, मंदिर अथवा श्मशान में कहीं भी की जा सकती है परन्तु प्रत्येक स्थान के लिए अलग-अलग भेदों से पूजा की जाती है।
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