।। अशोकवाणी ।।
क्षुद्रकेण हि केनापि प्रक्रममाणेन शक्यो विपुलोऽपि स्वर्ग आराधयितुम् । ।रुपनाथशिलालेखतः ।।Even by any ordinary man exerting (religiously) the magnificent heaven is attainable .
कोई भी छोटा मनुष्य सात्विक जीवन अपना कर सर्वोच्च स्वर्ग पा सकता है ।
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