संस्कृत और संस्कृती

अनुकूले विधौ देयं एतः पूरयिता हरिः । प्रतिकूले विधौ देयं यतः सर्वं हरिष्यति ॥ भावार्थ:- तकदीर अनुकुल हो तब दान देना चाहिए क्यों कि सब देनेवाला भगवान है । तकदीर प्रतिकुल हो तब भी देना चाहिए क्यों कि सब हरण करनेवाला भी भगवान ही है !

बुधवार, 24 जून 2015

"रात ओस की बूंद धरा पे फैली हुई ,
बाल सूरज समेट लेता है बाहों में .....।
खग वृन्दों की किलोल जग पे फैली हुई ,
शिशु व्याकुल हैं माँ की राहों में " ...।